Friday, February 19, 2010

छोटी सी बात....

सच में मुसीबत बोल के नहीं आती लेकिन कभी कभी हम मुसीबत के खुद जिम्मेदार होते है ऐसा ही एक घटना मेरे साथ हुआ। 18 जनवरी के रात सामान्य दिनो की तरह मैं आफिस से घर के लिए निकला काफी देर हो चुकी थी रात के 10 बज रहे थे अपनी कान में इयर फोन लगाया अपनी हि धुन में मै जा रहा था या कहुं कि इयर फोन में गाना सुनते सनुते मेरा ध्यान गाडी चलाते सड़क पर नही था अचानक सड़क पर एक बुलडोजर का तुकड़ा दिखा उससे बचने के लिए मैने जोर से ब्रेक लगाया और मेरी गाड़ी स्लीप हो गइ। गाड़ी स्लीप होने पर जैसे मेरे होश गुम हो गाय और जब मेरी आंख खुली तो पता चला कि मै अस्पताल के बेड पर लेटा हुं थोड़ी देर के लिए मैने सोचो कि मै अस्पताल में कैसे पहुंच गया मगर पुछने पर पता चला कि मेरे बड़े भाइ औऱ दोस्तो ने मुझे अस्पताल पहुंचाया और मेरा मेजर एक्सीडेन्ट हो गाया है मुझे अपने आप पर गुस्सा आया कि मेरे थोड़े से लापरवाहि के चलते मैं इस हादसे का शिकार हो गाया जिसका पुरी जिम्मेदार भी मैं था आप सोच रहे होंगे कि सड़क पर बुलडोजर के चलते हुवा एक्सीडेन्ट के लिए पुरी तरही मै कैसे जिम्मेदार हुं तो मै आप को बता दु ये एक्सिडेन्ट का कारण. उस दिन मै आफिस के एक दोस्त के साथ ड्रीन्क ले लीया था और ड्रीन्क लेने के बाद गांड़ी चला रहा था हुवा युं कि शाराब पीकर और कानो में इयर फोन लगाकर गाड़ी चलाते मेरी ध्यान भटका औऱ ये हादसा हो गाया हालांकि ये पहनी बार नहीं है कि मैने शराब पी हो और गांड़ी चला रहा था मगर लगता है कि मै हादसे की तैयारी काफी समय से कर रहा था क्योंकि पहले भी मैं शराब पी कर और कई बार गाड़ी ड्राइव कर चुका था औऱ इस बात से बेखबर कि कुछ नही होगा गाडी लापरवाहि से चलाता रहा और इसी का नतीजी है जो मै अभी तक भुगत रहां हुं जब मै ये ब्लाग लिख रहा था तभी भी मै पुरी तरह से ठीक नहीं हुवा था ।
इस हादस से मेरे दांतो में देड़ माह के लिए तार लग हुवे है और मै सिर्फ लिक्विट खाने पर निर्भर हो गाया हुं.आज मै इस ब्लाग के जरिये इस बात का कनफेन्स कर रहा हुं कि इस पुरे मामले का जिम्मेदार मै खुद हुं औऱ जो कोइ भी इस ब्लाग को पड़ रहा हो वो कम से कम मुझ से थोड़ी बहुत तो सिख ले हि सकते है जो केवल इसे एक ब्लाग के दृष्टी से ये पड़ रहा है औऱ कोइ सिख लेना नही चाहता उसको मेरी शुभ कामना.

5 comments:

Shashi Kant Singh said...

aapki bat sach much sahi hai.
mere sath v kuch aisa hi huaa tha.
kvi-kvi hm apne dhun me itne kho jate hai ki hame kuchh hosh hi nai rahta hai. aur hosh tb aata hai jb der ho chuka rahata hai.
Thanx, keep it up

Anonymous said...

if u learn t lesson than accident is lesson and it's cost is less

शशांक शुक्ला said...

कोई बात नहीं जब जागो तभी सवेरा है

shama said...

Anek shubhkamnayen!

Jayram Viplav said...

कली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
धरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी
वतन बेंच देगें।
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