Tuesday, December 28, 2010

व्यवहार


किसी ने मुझ से कहा था कि आदमी की व्यवहार किसी घड़ी के जैसे होता है कई लोग हाथों में घड़ी पहते है लेकिन हर घड़ी अलग अलग समय बतायेगी चाहे उसके समय दिखाने का अंतर कुछ मिनटों का हो या कुछ सेंकंड का लेकिन वो एक सा समय नहीं दिखाती फिर भी घड़ी पहनने वाले को लगता है कि वो सही समय देख रहा है उसी तरह अदमी का अपना व्यवहार भी होता है लोगो को लगता है वो जो कर रहा है वो सही है लेकिन क्या वो वास्तव में सही होता है क्योंकि उसकी नजर में वो सही कर रहा है लेकिन.....?

                                                              जैसे एक बार गांधी जी एक सभा में भाग लेने के लिए कोलकाता जा रहे थे वो कोलकाता जाने वाले ट्रेन पर बैठ गये और बर्थ में लेट गये उसी ट्रेन में एक गाधी जी का प्रशंसक भी चड़ा जो गांधी जी को देखने के लिए कोलकाता के सभा में जा रहे थे.चुंकि वो आदमी कभी गांधी जी को करीब से नहीं देखा था सो उसने ट्रेन के बर्थ में सोये  गांधी जी को नहीं पहचाना और उसे बर्थ से उठा कर कहा की यहां बैठने के लिए जगह नहीं हो है और तूम सो कर जा रहे है उठ कर बैठे और हमें भी बैठने दो.गांधी जी उठ कर बैठ गये और वो मुशाफिर भी गांधी जी के बगल में बैठ गया.कोलकाता स्टेशन में भारी भीड गांधी जी के आने का इंतेजार कर रही थी जब ट्रेन स्टेशन में पहुंचा तो लोगो ने गांधी जी जिंदाबाद के नारे लगाने लगे और जब गांधी जी स्टेशन में उतरे तो लोगो ने उसे कंधे पर उठा लिय औऱ तब उसके साथ बैठे गांधी जी के दर्शन के इच्छुक व्यक्ती ने ये देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ किया जिस व्यक्ती के दर्शन के लिए वो इतनी दूर आया वो तो उसके साथ ही यात्रा किया और उसने उसके साथ ट्रेने में ठीक व्यवहार नही किया ये सोचकर उसे बड़ा खराब लगा। लेकिन उसे ये बाते गांधी जी की भा गई की इतनी महान होने के बाद भी वो इतने सरल स्वभाव के थे,उसे इस बात पर भी आश्चर्य हुआ कि कोई आदमी इतना विनम्र कैसे हो सकता है ।

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